Govardhan Puja : क्यों मनाया जाता है?
गोवर्धन पूजा, जिसे "गोवर्धन उत्सव" के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है। यह मुख्यतः उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश में, भगवान कृष्ण की उपासना के लिए मनाया जाता है।
यह पर्व दीपावली के अगले दिन, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा प्रकट करना है, जिन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठाकर अपने भक्तों की रक्षा की थी।
गोवर्धन पूजा की पौराणिक पृष्ठभूमि
गोवर्धन पूजा की कथा पौराणिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णित है। कहा जाता है कि जब इन्द्र देवता ने गोकुलवासियों पर प्रकोप किया और मूसलधार बारिश भेजी, तब भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया। उन्होंने गांव वालों को गोवर्धन पर्वत के नीचे छिपने का आदेश दिया, जिससे वे इन्द्र के प्रकोप से सुरक्षित रहे। इस चमत्कार ने भगवान कृष्ण की महानता को दर्शाया और गाँव के लोग उनके प्रति और भी अधिक श्रद्धालु हो गए। इस घटना की स्मृति में गोवर्धन पूजा मनाई जाती है।
गोवर्धन पूजा 2024: जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त
दीपावली की शुरुआत धनतेरस के पर्व से होती है, इसके बाद छोटी दिवाली और फिर बड़ी दिवाली मनाई जाती है। हालांकि इस वर्ष पंचांग के अनुसार, छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली एक ही दिन पड़ी हैं। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है, जो कि भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा और प्रकृति के सम्मान का प्रतीक है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा करने की कहानी से जुड़ा है। इस दिन भक्त अपने घरों में गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। यह पूजा हमें प्रकृति के प्रति आभार और पशुधन के महत्व का संदेश देती है।
गोवर्धन पूजा 2024 के शुभ मुहूर्त
इस वर्ष गोवर्धन पूजा का आयोजन 2 नवंबर को होगा। इसके शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
- प्रतिपदा तिथि: की शुरुआत 1 नवंबर को शाम 6:16 बजे से होगी और यह तिथि 2 नवंबर को रात 8:21 बजे समाप्त होगी।
- प्रातःकालीन मुहूर्त: 2 नवंबर को सुबह 6:14 बजे से 8:33 बजे तक रहेगा।
- सायंकालीन मुहूर्त: 2 नवंबर को दोपहर 3:33 बजे से शाम 5:53 बजे तक रहेगा।
इन मुहूर्तों में गोवर्धन पूजा करने से भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-शांति व समृद्धि बनी रहती है।
गोवर्धन पूजा कब और कैसे मनाई जाती है?
गोवर्धन पूजा हर साल दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है, जो कार्तिक मास की द्वादशी तिथि को आती है। इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और अपने घरों को साफ करते हैं। इसके बाद, वे गोवर्धन पर्वत के प्रतीक के रूप में एक मिट्टी का मॉडल बनाते हैं, जिसे गोबर से सजाया जाता है। फिर, भक्त इस गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान भक्त भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाते हैं, फूल चढ़ाते हैं और मिठाईयां अर्पित करते हैं।
गोवर्धन पूजा की पारंपरिक तैयारियाँ
गोवर्धन पूजा की तैयारियाँ एक दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों को अच्छे से सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं और विशेष पकवानों की तैयारी करते हैं। घर के आँगन में गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाने के लिए गोबर का उपयोग किया जाता है। इस पर्व पर खासतौर पर "हलुआ", "पकवान", और "मिठाइयाँ" बनाई जाती हैं। ये सभी व्यंजन एकत्रित होकर एक भव्य भोग में प्रस्तुत किए जाते हैं, जिसे फिर सभी परिवार के सदस्य मिलकर खाते हैं।
हिंदू धर्म में गोवर्धन पर्वत का महत्व
गोवर्धन पर्वत को हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे भगवान कृष्ण का प्रिय स्थान माना जाता है। गोवर्धन पर्वत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसे एक पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्वत खेती के लिए जल प्रदान करता है और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक जलस्रोत का काम करता है। इसलिए, गोवर्धन पर्वत की पूजा करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ होता है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी दर्शाता है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करना चाहिए और उनका संरक्षण करना चाहिए।
निष्कर्ष
गोवर्धन पूजा न केवल भगवान कृष्ण की भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे समाज में एकता, भाईचारे और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का संदेश भी देती है। इस दिन हमें भगवान के प्रति अपने आभार को व्यक्त करने का अवसर मिलता है और यह हमारे जीवन में सकारात्मकता और स्नेह का संचार करता है। इस पर्व को मनाते समय हम सभी को अपने परिवार और समुदाय के साथ मिलकर खुशियाँ बांटनी चाहिए और इस अद्भुत परंपरा का सम्मान करना चाहिए।
गोवर्धन पूजा पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. गोवर्धन पूजा कब मनाई जाती है?
गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को आती है।
2. गोवर्धन पूजा का क्या महत्व है?
गोवर्धन पूजा का महत्व भगवान कृष्ण की भक्ति, प्रकृति के प्रति आभार, और समाज में एकता और भाईचारे की भावना को प्रबल करना है। यह त्योहार हमें प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करना भी सिखाता है।
3. गोवर्धन पूजा में कौन-कौन सी पूजा सामग्री का उपयोग किया जाता है?
गोवर्धन पूजा में गोबर से बना गोवर्धन पर्वत, फूल, दीपक, अगरबत्ती, मिठाई, फल, और अन्य पूजा सामग्री का उपयोग होता है।
4. गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा क्या है?
गोवर्धन पूजा की कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाया था ताकि वे इन्द्र देव के प्रकोप से सुरक्षित रह सकें। इस घटना की स्मृति में गोवर्धन पूजा मनाई जाती है।
5. गोवर्धन पूजा कैसे मनाई जाती है?
गोवर्धन पूजा में भक्त अपने आँगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। इस पर्व पर विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जिन्हें बाद में भोग के रूप में भगवान को अर्पित किया जाता है और परिवार के सदस्यों में बाँटा जाता है।
6. गोवर्धन पर्वत का हिंदू धर्म में क्या महत्व है?
गोवर्धन पर्वत को भगवान कृष्ण का प्रिय स्थान माना जाता है। यह पर्वत पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आसपास के क्षेत्र में जल संसाधन और उपजाऊ मिट्टी का स्रोत है।
7. गोवर्धन पूजा के दिन कौन से रिवाज निभाए जाते हैं?
गोवर्धन पूजा में घर की सफाई, गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाना, भगवान कृष्ण की पूजा, भोग चढ़ाना, और परिवार के साथ मिलकर पर्व को मनाना प्रमुख रिवाज हैं।
8. गोवर्धन पूजा का पर्यावरणीय महत्व क्या है?
गोवर्धन पूजा प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर है। यह पर्व हमें प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को समझने और उनकी रक्षा करने का संदेश देता है।